मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई कि हमारी प्रतिष्ठित कॉलेज पत्रिका “आइना” फिर से प्रकाशित होने जा रही है। “आइना” विशेष रूप से छात्रों और सामान्य रूप से शिक्षण स्टाफ के सह- पाठ्यक्रम और पाठ्येतर उपक्रमों को दर्शाता है। यहाँ छात्रों के रचनात्मक और रचनात्मक उत्साह को उपयुक्त रूपों में अभिव्यक्ति मिलती है। यह विकासशील दिमागों को अपने छिपे हुए आग्रह और क्षमता को उजागर करने और महसूस करने का सुनहरा अवसर देता है। शिक्षा एक बहुआयामी अभ्यास है।
गाजीपुर शहर के हृदयस्थल में स्थित एम०ए०एच० इण्टर कालेज, वह प्रतिष्ठित विद्यालय है, जिसने कई पीढ़ियों को शिक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। विद्यालय को वर्तमान चुनौतियों के अनुरूप विकसित करने का प्रयास जारी है। बदलते परिवेश में CBSE/ICSE द्वारा संचालित विद्यालय, अभिभावकों की पहली पसंद है जहाँ सम्पन्न परिवार के छात्र/छात्राएं प्रवेश लेने में समर्थ हैं। निर्धन एवं अभावग्रस्त लोग आज भी यू०पी० बोर्ड के विद्यालयों की तरफ उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं। उनकी कामना एवं सपना है कि काश! गरीबों के लिए स्थापित विद्यालय’ अपने अन्दर अपेक्षित बदलाव लाकर समाज में पैदा हो रही असमानता को दूर करें। समाज के निर्बल वर्ग की इच्छाओं को ध्यान में रखकर एम०ए०एच० इण्टर कालेज को शासन द्वारा निर्धारित फीस पर नयी आवश्यकताओं के अनुरूप ढालने का प्रयास किया जा रहा है।
आधुनिक भारत के शिल्पकारों में से एक सर सैयद अहमद खान का जन्म 17 अक्टूबर, 1817 को दिल्ली में हुआ था और उन्होंने एक सिविल सेवक के रूप में अपना करियर शुरू किया था।
1857 का विद्रोह सैयद अहमद के जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ था। उन्होंने स्पष्ट रूप से मुसलमानों के लिए अंग्रेजी भाषा और आधुनिक विज्ञान में प्रवीणता हासिल करने की अनिवार्य आवश्यकता का पूर्वाभास किया, यदि समुदाय को विशेष रूप से उत्तरी भारत में अपने सामाजिक और राजनीतिक दबदबे को बनाए रखना है।